Sunday 19 April 2015

Akshay tritiya

अक्षय तृतीया मूल रूप से महालक्ष्मी
की प्राप्ति के लिए शुभ मुहूर्त है। इस दिन कि गई
लक्ष्मी साधना व सोने-चांदी की
खरीदारी सर्वश्रेष्ठ मानी गई
है । इस वर्ष अक्षय तृतीया का अतिशुभ पर्व
मंगलवार दिनांक 21.04.2015 को है। वर्ष 2015 में
अक्षय
तृतीया पर सर्वार्थसिद्धि योग, रवियोग,
मंगलादित्य योग व
बुधादित्य योग का महासंयोग बन रहा है।
अक्षय तृतीया पर यह दुर्लभ संयोग 191 साल बाद
बन रहे हैं। मुहूर्त चिंतामणि, कौस्तुभ ग्रंथ तथा
नक्षत्र मेखला
की गणना अनुसार मुहूर्त व योगों के तर्क पर ऐसा
अदभुत संयोग अनेकों वर्षों बाद आ रहा है। अतः
मंगलवार दिनांक
21.04.2015 का दिन मांगलिक कार्य, दान-पुण्य तथा
भूमि, भवन,
वाहन व स्वर्ण की खरीदी
के लिए अतिशुभ रहेगा। इस दिन सूर्य मेष, चंद्रमा
वृषभ और गुरु
कर्क राशि में रह कर मंगलकारी योग बनाएंगे।
इस दिन कृतिका नक्षत्र, सौभाग्य योग, गर करण, वृष
में उच्च के
चंद्र हैं। प्रातः 6 बजकर 15 मिनट से सुबह 11 बजकर
57 तक
सर्वार्थसिद्धि योग बन रहा है तथा सुबह 11 बजकर
58 मिनट
से सूर्यास्त तक शुभ रवियोग बन रहा है। मध्यान के
समय
मंगलादित्य व बुधादित्य योग भी बन रहे हैं।
शास्त्रानुसार अक्षय तृतीया को अनंत-अक्षय-
अक्ष
ुण्ण फलदायक माना गया है। इस दिन महालक्ष्मी
की प्रसन्नता के लिए भी विशेष अनुष्ठान
होता है जिससे अक्षय पुण्य मिलता है। सुबह उठकर
नित्यकर्म
से निवृत होने के बाड़ शांत चित्त होकर विधि
विधान से
लक्ष्मीनारायण की पूजा सफेद और
पीले फूलों से करने पर हर मनोकामना पूर्ण
होती है।
इस दिन लक्ष्मीनारायण को नैवेद्य में जौ, सत्तू,
ककडी और चने की दाल अर्पित
की जाती है। तत्पश्चात ब्राह्मणों को
बर्तन व वस्त्र आदि दान कर दक्षिणा दी
जाती है। इस दिन ब्राह्मणों को जल से भरे घड़े,
पंखे,
खड़ाऊं, छाता, चावल, नमक, घी, खरबूजा,
ककडी, चीनी, साग,
इमली, सत्तू आदि का दान किया जाता है तथा
गरीबों के शरबत, ठंडा दूध, चप्पल और छाते का दान
करना श्रेष्ठ रहता ह